Sunday, 5 June 2011

बाबा समर्थकों पर पुलिस तांडवः किस नेता ने क्या कहा...

लखनऊ. भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों पर शनिवार देर रात की पुलिस कार्रवाई की विभिन्न राजनीतिक दलों, समाजसेवी संगठनों और अन्य तबके के लोगों ने चौतरफा निंदा की है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और जनता दल (युनाइटेड) ने जहां इस कार्रवाई को लोकतंत्र का गला घोंटने वाला कृत्य बताया है। वहीं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव को बड़ा ठग बताते हुए जनता को बर्गलाने

का आरोप लगाया है।

अनशनकारियों पर की गई पुलिस कार्रवाई को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला दिन बताते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई के लिए देश से माफी मांगें।

लखनऊ में पार्टी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान गडकरी ने कहा, "भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर शांतिपूर्ण ढंग से अनशन कर रहे बाबा रामदेव और उनके निहत्थे समर्थकों पर पुलिस ने अत्याचार किया। यह सब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया के कहने पर किया गया।" उन्होंने कहा कि इस घटना ने वर्ष 1975 के आपातकाल और जलियावालां बाग कांड की याद ताजा कर दी है।

उन्होंने कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे पार्टी के प्रमुख नेता इस पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में शाम सात बजे से दिल्ली में राजघाट पर 24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठेंगे।

उधर, आडवाणी ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से संसद का आपात सत्र बुलाने की मांग की है। संवाददाताओं से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि राष्ट्रपति पिछले छह महीने में देश में हुई घटनाओं पर संज्ञान लें और संसद का आपात सत्र बुलाएं। मैं उनसे अपील करता हूं कि वह निष्क्रिय पर्यवेक्षक की तरह इन घटनाओं को न देखें।"

उन्होंने पुलिस पर बाबा रामदेव का अनशन जबरन तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा, "पुलिस ने युवाओं तथा बुजुर्गो को पीटा। यह जालियावालां बाग की तरह था।"

आडवाणी ने कहा, "प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की भी अध्यक्ष हैं, को बाबा रामदेव तथा पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।"

राज्यसभा में विपक्ष के नेता जेटली ने इस कार्रवाई को 'भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में शर्मनाक अध्याय' करार दिया है। उन्होंने कहा, "रामलीला मैदान पर पिछली रात जो कुछ भी हुआ, वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का शर्मनाक अध्याय है। भ्रष्टाचार तथा काले धन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ यह पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई है।"

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे 'इतिहास का काला दिन' करार दिया है।

मोदी ने कहा, "मनमोहन सिंह जी, देश यह मानने को तैयार नहीं है कि आप इसमें शामिल नहीं हैं। ये अत्याचार आपकी सरकार के अधीन हुए हैं। दिल्ली में पुलिस मनमोहन सिंह सरकार के अधीन है, न कि (दिल्ली की मुख्यमंत्री) शीला दीक्षित के अधीन। यह काला दिन है।"

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस घटना ने मध्ययुगीन बर्बरता की याद दिला दी है। उन्होंने कहा कि शनिवार रात दिल्ली के रामलीला मैदान पर जो कुछ भी हुआ, वह दु:खद है। ऐसा तो आपातकाल के समय भी नहीं हुआ था, जैसा केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव तथा अनशन पर बैठे लोगों के साथ किया।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी दिल्ली के रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर शनिवार देर रात की गई पुलिस कार्रवाई की निंदा की है।

पटना में रविवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बाबा रामदेव अपनी बात कहने के लिए अपने समर्थकों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से अनशन पर बैठे थे। ऐसे में रात के समय उन पर प्रहार करना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। सरकार की यह कार्रवाई लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने जैसी है।

वहीं मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए सरकार और बाबा रामदेव के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को लेकर किए गए गुप्त समझौते पर दोनों की आलोचना की है।

पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए माकपा ने कहा, "कानून एवं व्यवस्था का कोई मसला नहीं था और पुलिस कार्रवाई अनुचित थी।"

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि बाबा रामदेव के समर्थकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई से ऐसा लगता है कि केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने मानसिक संतुलन खो दिया है।

संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव और उनके अनुयायियों पर केंद्र सरकार ने जिस तरह कारवाई की है, उससे लगता है कि विदेशी दुश्मनों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा हो। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार पाकिस्तान और चीन से देश की सीमाओं की सुरक्षा नहीं कर पा रही है, लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शांतिपूर्ण अनशन कर रहे लोगों के खिलाफ ऐसी कारवाई कर रही है।

यह पूछे जाने पर कि क्या सपा इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग करेगी, यादव ने कहा कि सरकार ने जिस तरह का माहौल पैदा किया है, उसके लिए जनता प्रधानमंत्री से इस्तीफा लेगी।

गांधीवादी समाजसेवक अन्ना हजारे ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को 'लोकतंत्र का गला घोंटने' की घटना करार दिया है। अन्ना हजारे ने कहा, "विरोध प्रदर्शन करना अपराध नहीं है। इससे केवल लोकतंत्र मजबूत होता है। आधी रात को पुलिस भेजने और लोगों को पीटने की क्या जरूरत थी? यह घटना लोकतंत्र पर कलंक है।"

उन्होंने कहा, "बाबा रामदेव के आंदोलन की कुछ कमजोरियां हो सकती हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि लोगों को पीटा जाए और रात में पुलिस कार्रवाई क्यों की गई? वहां महिलाएं और बच्चे भी मौजूद थे।"

इसके विपरीत, राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मोहरे हैं। उन्होंने बाबा रामदेव को आरएसएस के चंगुल से मुक्त होने और लोगों को योग सिखाने की सलाह दी।

इससे पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने रविवार को योग गुरु बाबा रामदेव पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन की आड़ लेकर लोगों को भड़काने का काम किया।

दिग्विजय ने कहा, "बाबा ने लोगों को धोखा दिया। वह ठग हैं। मीडिया को इस बारे में सोचना चाहिए कि किसे महत्व देना चाहिए।"उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक कार्रवाई है और इस मामले में नियम और कानून का पालन किया गया है।

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